Noida Authority
Noida Authority ने बिल्डरों पर पर नकेल कसते हुए बकाए की रकम तुरंत जमा करने का आदेश दिया था.
Authority ने builders को थोड़ी रियायत देते हुए ये भी कहा था कि वे 25% रकम तुरंत जमा करा दें . लेकिन बिल्डर खरीदार मामले में अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के लागू होने के बाद भी ठोस परिणाम देखने को नहीं मिल रहे हैं.बिल्डरों के इस रवैये से नाराज Authority ने कड़ा रुख अपनाते हुए प्रॉपर्टी की सीलिंग और आवंटन निरस्तीकरण की ओर कदम बढ़ाया है तो builder भी कोर्ट की राह ले रहे हैं कोर्ट से बिल्डरों को आंशिक राहत भी मिल रही है. नया मामला सेक्टर-78 के कलरफुल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड का है, जिसे हाईकोर्ट इलाहाबाद से आंशिक राहत मिली है.
ऐसे में Noida Authority की सीलिंग और आवंटन निरस्तीकरण की योजना को झटका लगा है.दरअसल, प्राधिकरण ने कलरफुल एस्टेट की बिना बिकी संपत्तियों की सीलिंग की घोषणा की थी. घोषणा होते ही कलरफुल एस्टेट हाईकोर्ट चला गया यहां जब इस पर सुनवाई हुई तो दूसरे पक्ष की ओर से बताया गया कि अभी परियोजना में सीलिंग की योजना नहीं है इस बाबत कोई आदेश भी जारी नहीं किया गया है वहीं, कलरफुल एस्टेट की ओर से शासन में जीरो पीरियड के बाबत 20 सितंबर को सुनवाई की तिथि की बात कही गई.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की कि जब तक शासन में उनका मामला लंबित है, तब तक किसी तरह की कार्रवाई न की कोर्ट ने कहा कि फिलहाल दूसरा पक्ष किसी तरह की कार्रवाई की बात भी नहीं कर रहा है.
हालांकि, इस मामले का निपटारा जल्द से जल्द कराने की बात कोर्ट ने कही। इसमें देरी न करने की सलाह भी दी गई.आपको बता दें कि इस परियोजना में अथॉरिटी ने builders को 30797 वर्गमीटर जमीन आवंटित की है. बिल्डर पर करीब 75 करोड़ का बकाया है. यहां बिल्डर को 1055 फ्लैट बनाने की मंजूरी मिली थी. इनमें से 1041 फ्लैट बन गए हैं और 982 की ओसी मिला है वहीं, 529 फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई है, 453 फ्लैटों की रजिस्ट्री बाकी है…
कलरफुल एस्टेट को मिली राहत का फायदा उठाते हुए महागुन ने भी कोर्ट का रूख किया.. कोर्ट ने महागुन बिल्डर को भी उधार चुकाने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है. कोर्ट से रियायत मिलती देखकर कई अन्य बिल्डर भी कोर्ट का रूख कर रहे हैं इनमें सेक्टर 75 स्थित एम्स मैस्क गार्डेनिया के अलावा 57 अन्य बिल्डर भी शामिल हैं Authority ने गार्डेनिया के कॉमर्शियल प्लॉट का आवंटन रद्द कर दिया है.इसके कई फ्लैट भी पहले से ही सील हैं.
गार्डेनिया के सेक्टर 75 वाली परियोजना पर अथॉरिटी ने सीलिंग का फैसला किया था, लेकिन इससे पहले ही मामला कोर्ट में चला गया
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