शहीदे आजम भगत सिंह को किया नमन
Noida पंजाबी विकास मंच द्वारा अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव थापर के 94वें शहीदी दिवस पर सामुदायिक केंद्र, सेक्टर-56, नोएडा में नोएडा स्तर पर एक बैठक का आयोजन किया गया।
सभा के मुख्य अतिथि पंजाबी विकास मंच के चेयरमैन दीपक विग ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।इस आयोजन में नोएडा के गणमान्य पंजाबियों ने सर्वप्रथम माल्र्यापण कर शहीदे आजम भगत सिंह को नमन किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता पंजाबी विकास मंच के अध्यक्ष गुरिन्दर बंसल नें की।कार्यक्रम का संचालन पंजाबी विकास मंच के डिप्टी चेयरमैन संजीव पुरी ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि दीपक विग ने कहा कि शहीद भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को ब्रिटिश भारत में अखण्ड पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव में चक नंबर 105 में हुआ हालांकि उनका पैतृक निवास खट्टरकला गांव में स्थित है।
भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह तथा उनके दो चाचाओं का नाम अजीत सिंह व स्वर्ण सिंह था।ये भी अंग्रेजी हकुमत के खिलाफ लड़ते रहे। एक देशभक्त के परिवार में जन्म लेने के कारण भगत सिंह को देशभक्ति व स्वतंत्रता का पाठ विरासत में पढ़ने को मिल गया था। उनके प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के डीएवी स्कूल में हुई। भगत सिंह जब 12 वर्ष के थे तब जालियावाला बाग हत्याकांड़ हुआ था।
1920 के महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर भगत सिंह ने 1921 में स्कूल छोड़ दिया था तभी लाला लाजपत राय ने लाहौर में नेशनल कालेज कि स्थापना की थी। इसी कालेज में भगत सिंह ने भी प्रवेश लिया।
नेशनल कालेज में उनकी देशभक्ति की भावना फलने-फूलने लगी।इसी कालेज में ही यशपाल, भगवती चरण, सुखदेव आदि क्रांतिकारियों के संपर्क में आये। कुछ समय बाद भगत सिंह करतार सिंह सराभा के संपर्क में आये और गदर पार्टी से जुड़े। 1923 में जब उन्होंने एफ.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तब उनके विवाह की चर्चा चलने लगी। जिससे बचने के लिए कालेज से भाग निकले और दिल्ली पहुंचकर दैनिक समाचार पत्र अर्जुन में संवाददाता के रूप में कार्य करने लगे।
इसी दौरान वह हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बनें। तभी भगत सिंह का चन्द्रशेखर आजाद से संपर्क हुआ। इन दोनों ने मिलकर अपने क्रांतिकारी दल को मजबूत किया।लाला लाजपत राय के नेतृत्व में 1928 में एक जुलूस साईमन कमीश्न के विरोध में प्रदर्शन कर रहा था।
इस व्यापक विरोध को देखकर सहायक अधीक्षक सांडरस ने लाला लाजपत राय पर अनेक वार किये। 17 नवंबर 1928 को लाला जी का देहांत हो गया। भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद और जयगोपाल ने सांडरस को मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया।
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