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जनपद में इस बार 16 नवम्बर को मनाया जाएगा एकीकृत निक्षय दिवस

नोएडा। जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर इस बार 15 की जगह 16 नवम्बर को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाएगा। 15 को अवकाश होने के कारण इस बार तिथि में बदलाव किया गया है। शासन के निर्देश पर हर माह 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाता है। 15 तारीख को अवकाश होने की स्थिति में उसे अगले कार्य दिवस पर मनाया जाता है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आर.पी. सिंह ने बताया- राष्ट्रीयक्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। विभाग का प्रयास है कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को साकार करते हुए जनपद को टीबी मुक्त बनाया जाए। उन्होंने बताया- शासन के निर्देश पर हर महीने की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओपीडी में आने वाले दस प्रतिशत मरीजों की लक्षणों के आधार पर टीबी की स्क्रीनिंग की जाती है।

अब तक 11 एकीकृत निक्षय दिवसों का आयोजन किया जा चुका है। इसमें अब तक करीब 2063 संभावित मरीज मिल चुके हैं, जिनमें टीबी से मिलते जुलते लक्षण थे। प्रारंभिक जांच के बाद इनमें से 1944 मरीजों की जांच की गयी, जिसमें 130 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। डा. सिंह ने बताया- बीमारी की पुष्टि होते ही मरीजों का उपचार शुरू कर दिया जाता है। आमतौर पर साधारण टीबी के मरीज छह माह का उपचार लेने के बाद ठीक हो जाते हैं। नियमित दवा न लेने अथवा अन्य कारणों से कुछ मरीजों को लंबे उपचार की जरूरत होती है।

डॉ. सिंहने बताया- जनपद में अब तक 11 एकीकृत निक्षय दिवस मनाए जा चुके हैं। पहला निक्षय दिवस 15 दिसम्बर को मनाया गया था, जिसमें 18 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। दूसरा 16 जनवरी को मनाया गया, इसमें 10 रोगी सामने आये। 15 फरवरी को आयोजित एकीकृत निक्षय दिवस में11 नये मरीज मिले। 15 मार्च को 12 नये मरीज, 15 अप्रैल को आठ नये मरीज, 15 मई को 15 नये मरीज, 15 जून को 19 नये मरीज, 17 जुलाई को 19 नये मरीज, 15 अगस्त को 7 नये मरीज, 15 सितम्बर को छह नये मरीज, 16 अक्टूबर को पांच नये मरीज मिले। इस तरह अब तक मनाये गये एकीकृत निक्षय दिवसों पर 130 नये टीबी के मरीज मिल चुके हैं।

समय पर जांच व उपचार जरूरी
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है- क्षय उन्मूलन के लिए सबसे जरूरी है, टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान होना। जितनी जल्दी पहचान, उतनी जल्दी उपचार। क्षय रोग इकाई का पूरा फोकस है कि टीबी मरीजों की जल्दी से जल्दी पहचान हो। उन्होंने बताया – पल्मोनरी (फेफड़ों की) टीबी मरीज के खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों के सम्पर्क में आने से फैलती है। उपचार शुरू होने के बाद नियमित दवा लेने पर करीब एक से दो माह बाद संक्रमण फैलने की आशंका कम हो जाती है।

टीबी के लक्षण

डा. सिंह ने बताया- दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसते समय बलगम और खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार और वजन कम होना आदि टीबी के लक्षण हैं। लक्षण नजर आने पर टीबी की जांच अवश्य कराएं।

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