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सरस मेले में पूर्वोत्तर राज्यों के उत्पादों की हुई जमकर खरीददारी

नोएडा। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित एवं राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित सरस मेले में 12वें दिन मंगलवार को लोगों ने जमकर खरीददारी की।

सेक्टर-33ए स्थित नोएडा हाट में आयोजित सरस मेले में हैंडलूम एवं हैंडीक्राफट के प्रोडक्टस की खासी धूम रही।
सरस मेले में मंगलवार को 12वें दिन दीदियों के लिए सूक्ष्म उद्यमों/किसान उत्पादक कंपनियों की स्थिरता नामक विषय पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया।

वर्कशॉप में वरिष्ठ सलाहकार ग्रामीण आजीविका नीति आयोग आरिफ एम. अख्तर ने सभी दीदियों कोकुशल मार्केटिंग के गुर बताए। साथ ही बताया कि अपने सूक्ष्म उद्योग को बड़ा करने के लिए किस प्रकार समूह बनाकर आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि डेली कम्युनिटी से रोजगार के साधन बनाएं। बिजनेस एक्टीविटी चलाने के लिए सामूहिक प्रयास करें।

इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) की दिल्ली शाख प्रभारी डॉ रुचिरा भट्टाचार्य ने सभी दीदियों उनके कारोबार को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने कहा कि अपने उत्पादों में बेहतरी लाने के प्रयास करें। वर्कशॉप में मुख्य रूप से एनआईआरडीपीआर के असिस्टेंट डायरेक्टर चिरंजीलाल कटारिया, सुधीर कुमार सिंह तथा सुरेश प्रसाद सहित उनकी टीम के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।


सरस मेले में मंगलवार को तमिलनाडु के हैंडलूम एवं हैंडीक्राफट के प्रोडक्टस, साडी तथा बम्बू उत्पाद लोगों की पसंद बने। जबकि तेलंगाना हैंडलूम एवं हैंडीक्राफट के प्रोडक्टस में साडी, बेडशीट तथा ड्रैस मैटिरियल की जमकर खरीददारी हुई।

वहीं उत्तराखंड के हैंडीक्राफट और हैंडलूम के आकर्षक उत्पादों की धूम रही। जबकि उत्तर प्रदेश के हथकरघा उत्पाद लोगों को पसंद आए। सरस आजीविका मेले में इस बार महत्त्वपूर्ण इंडिया फूड कोर्ट में देश भर के 20 राज्यों की 80 (उद्धमी) गृहणियों का समूह अपने प्रदेश के प्रसिद्ध क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टाल लगाए हैं, जिसमें हर प्रदेश के क्षेत्रीय व्यंजनों के स्वाद का अनोखा आनंद प्राप्त हो रहा है। फूड कोर्ट के कोर्डिनेटर श्रेयस कश्यप ने बताया कि इंडिया फूड कोर्ट में सभी राज्यों के व्यंजन लोगों को खूब भा रहे हैं।

हैंडलूम सरस आजीविका मेला 2024 में कुछ उत्कृष्ट प्रदर्शन जो हैंडलूम, साड़ी और ड्रेस मेटिरियल में विभिन्न राज्यों से हैं, जिनमें टसर की साड़ियां, बाघ प्रिंट, गुजरात की पटोला साड़ियां, काथा की साड़ियां, राजस्थानी प्रिंट, चंदेरी साड़ियां। हिमाचल उत्तराखंड के ऊनी उत्पाद व हैंडलूम के विभिन्न उत्पाद, झारखंड के पलाश उत्पाद व प्राकृतिक खाद्य सहित मेले में पूरे भारत की ग्रामीण संस्कृति के विविधता भरे उत्पाद शामिल हैं।

हैंडीक्राफ्ट के साथ ही ज्वैलरी और होम डेकोर के प्रोडक्ट्स के रूप में आंध्र प्रदेश की पर्ल ज्वैलरी, वूडन उत्पाद, आसाम का वाटर हायजिनिथ हैंड बैग और योगामैट, बिहार से लाहकी चूड़ी, मधुबनी पेंटिंग और सिक्की क्राफ्ट्स, छत्तीसगढ़ से बेलमेटल प्रोडक्ट्स, मडमिरर वर्क और डोरी वर्क गुजरात से, हरियाणा, का टेरा कोटा, झारखंड की ट्राइबल ज्वैलरी, कर्नाटक का चन्ननपटना खिलौना, सबाईग्रास प्रोडक्टस, पटचित्र आनपाल्मलीव ओडिशा, तेलंगाना से लेदर बैग, वाल हैंगिंग और लैंप सेड्स, उत्तर प्रदेश से होम डेकोर, और पश्चिम बंगाल से डोकरा क्राप्ट, सितल पट्टी और डायवर्सीफाइड प्रोडक्ट्स ये सभी मौजूद हैें।

साथ ही प्राकृतिक खाद्य पदार्थ भी फूड स्टाल पर मौजूद हैं। प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के रूप में अदरक, चाय, दाल कॉफी, पापड़, एपल जैम और अचार आदि उपलब्ध हैं। साथ ही मेले में बच्चों के मनोरंजन का भी पुख्ता इंतजाम किया गया है। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी लोग भरपूर आनंद उठा रहे हैं।

मंगलवार को सरस मेले में महाराष्ट्र के कलाकारों ने गोंधल लावली की सराहनीय प्रस्तुति से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।

सरस मेलों के माध्यम से ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं न केवल आजीविका के अवसर सृजन कर रही हैं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण देश के सामने पेश कर रही हैं। यह निश्चित रूप से आजीविका यात्रा में एक मील का पत्थर है। वहीं, मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं।

SARAS MELA

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