नोएडा।अपने अधिकारीयों के कुकृत्यों को छुपाने की कोशिश प्राधिकरण करते आये हैं , लेकिन जो बात छुपाई ही न जा सके उसे छुपाने का प्रयास ग्रेटर नॉएडा प्राधिकरण ने किया है। आरटीआई कार्यकर्ता एवं नोएडा विलेज रेसिडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रंजन तोमर द्वारा लगाई गई
एक आरटीआई में श्री तोमर ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से यह जानकारी मांगी थी कि प्राधिकरण के कर्मियों पर कितनी ऍफ़ आई आर सं 2013 से अबतक हुई हैं , दूसरे सवाल में यह जानकारी पूछी गई थी की प्राधिकरण द्वारा इस दौरान स्वयं कितनी ऍफ़ आई आर अपने कर्मियों के खिलाफ करवाई गई हैं (यदि हों तो ) और यदि कोई कर्मी दोषी पाया जाता है या उसपर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज़ होता है तो उसपर किया कार्यवाही होती है , इन सबके जवाब में ग्रेटर नॉएडा प्राधिकरण कहता है की यह सूचना उनके पास संकलित नहीं है।
अब सवाल यह उठता है की अपने कर्मियों के खिलाफ हुए केस के बारे में जानकारी प्राधिकरण के पास न भी हो लेकिन खुद के द्वारा कराई गई ऍफ़ आई आर की जानकारी न होने की बात कहना हास्यास्पद है।किसी कर्मी के दोषी पाए जाने पर प्राधिकरण की कोई नीति न होना और भी चिंताजनक है , ऐसे में सीईओ महोदय को इस बाबत अपने अधिकारीयों और प्राधिकरण से जवाब मांगना चाहिए।
नीति स्पष्ट होनी चाहिए। गाँवों में विकास कार्यों की धीमी चाल इसका एक परिचायक हैं। नॉएडा के मुकाबले ग्रेटर नॉएडा के गाँवों में सुविधाएं काफी कम हैं।नोवरा इन गाँवों के अधिकारों की मांग उठाएगा।