Noida GST कौंसिल की 53वीं बैठक
Noida GST कौंसिल की 53वीं बैठक में धारा 73 के तहत अर्थदण्ड एवं ब्याज पर छूट देने का निर्णय लिया गया था। इस पर अब तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। इससे व्यापारी परेशान हैं और उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है।
यह बात उत्तरप्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, Noida की हरौला में एक बैठक के दरम्यान अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने कही।उन्होंने बैठक में कहा कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, और 2019-20 में व्यापारियों ने नोटिस का जवाब दाखिल कर ब्याज एवं अर्थदण्ड की भरपाई कर दी थी। ऐसे में जीएसटी कौंसिल और वित्तमंत्री भारत सरकार तक इस विषय को पहुंचाकर जल्द से जल्द नोटिफिकेशन जारी करवाने की मांग करना अपेक्षित है, जिससे व्यापारियों को लाभ दिलाया जा सके और इसके साथ ही जमा किए गए ब्याज एवं अर्थदण्ड को वापस कराया जा सके।
चेयरमैन राम अवतार सिंह ने बताया कि जीएसटी नोटिस में यह देखने को मिला है कि व्यापारियों द्वारा त्रुटिवश या अनभिज्ञता के कारण नोटिस के जवाब देने में कुछ छोटी-छोटी खामियां रह जाती हैं। व्यापारी मूलधन के साथ ब्याज जमा कर देते हैं लेकिन गणना में गलती हो जाती है। उदाहरण के लिए 5000 रुपए के मूलधन पर 18 प्रतिशत ब्याज की गणना में दिन की संख्या में अंतर आ जाता है और ब्याज के 300 रुपए कम जमा कर दिए जाते हैं।
ऐसे मामलों में अधिकारियों द्वारा अंतिम तिथि पर 30,000 रुपए की पेनाल्टी लगा दी जाती है। ऐसे मामलों में यदि व्यापारी ने समय पर नोटिस का जवाब दिया है तो उसे एक मौका देना चाहिए। इससे कमी को सुधारकर पेनाल्टी से बचा जा सके।इस मौके पर वरिष्ठ महामंत्री मनोज भाटी ने बताया, जीएसटी परिषद ने मुकदमेबाजी को कम करने के लिए विभाग द्वारा अपील दायर करने हेतु जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के लिए 20 लाख रुपये, उच्च न्यायालय के लिए 1 करोड़ रुपये और सर्वोच्च न्यायालय के लिए 2 करोड़ रुपये की मौद्रिक सीमा की सिफारिश की है।यह राशि बहुत ज्यादा है। इसे काफी कम किये जाने की आवश्यकता है।
इस बैठक में अध्यक्ष नरेश कुच्छल, चेयरमैन राम अवतार सिंह, वरिष्ठ महामंत्री मनोज भाटी, महामंत्री दिनेश महावर, राधेश्याम गोयल, सत्यनारायण गोयल, मूलचंद गुप्ता, संदीप चौहान, सोहन वीर, सोनू कुमार, सुभाष त्यागी, वीर पाल, ओमपाल शर्मा, अंकित कौशिक, पीयूष वालिया,आदि उपस्थित रहे।
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