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Noida Fortis Hospital में मरीज की हाइ-रिस्क सर्जरी कर रीनल ट्यूमर को निकाला

Noida Fortis Hospital

Noida Fortis Hospital नोएडा के विशेषज्ञों ने एक उच्च जोखिम वाली चिकित्सा प्रक्रिया में विभिन्न संवहनी विशिष्टताओं का अनुभव करने वाली 59 वर्षीय महिला रोगी के गुर्दे के कैंसर को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।

मरीज जन्मजात विकार मल्टीपल वास्क्युलर एनोमलीज़ से ग्रस्त थीं जिसमें अनेक असामान्य रक्त वाहिकाएं गुर्दों को रक्तापूर्ति करती हैं, यह विकार 25000 में से 1 व्यक्ति में ही देखा गया है।सामान्य तौर पर, एक गुर्दे में केवल एक धमनी (आर्टरी), एक शिरा (वेन) और एक मूत्रवाहिका (यूरेटर) होती है, लेकिन इस मामले में, मरीज के शरीर में 4 रीनल आर्टरी और 2 यूरेटर थे। उनके बाएं गुर्दे के निचले भाग से ट्यूमर को निकालना और इससे पहले वहां मौजूद कई धमनियों और शिराओं को बांधना काफी चुनौतीपूर्ण था।

लेकिन डॉ पीयूष वार्ष्णेय – डायरेक्टर, यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के नेतृत्व में अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने इस हाइ-रिस्क प्रक्रिया को रोबोटिक पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी की मदद से पूरा किया और मरीज को 90 मिनट बाद ही स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।बता दे किमरीज को शरीर के बाएं भाग में काफी तेज दर्द की शिकायत के साथ Noida Fortis Hospital में भर्ती किया गया था, उन्हें पसलियों से लेकर कूल्हों तक में दर्द था। मरीज का अल्ट्रासाउंड किया गया जिससे उनके बाएं गुर्दे के निचले भाग में एक ट्यूमर का पता चला।

इसके अलावा, मरीज की सी.टी. यूरोग्राफी भी की गई जिससे उनके गुर्दे को रक्तापूर्ति करने वाली अनेक असामान्य धमनियों और शिराओं का पता चला। इस कंडीशन के चलते, उनकी रक्तवाहिकाओं को काटने, उन्हें अलग-अलग कर ट्यूमर को बाहर निकालने पर काफी अधिक ब्लीडिंग होने का खतरा था। इस जटिल समस्या के समाधान के तौर पर डॉक्टरों की टीम ने रोबोट-एसिस्टेड पार्शियल नेफ्रेक्टॉमी करने का फैसला किया, जिसने रक्तवाहिकाओं को 10 गुना बड़ा करके दिखाया और डॉक्टरों के लिए इन्हें सावधानीपूर्वक कांट-छांटकर ट्यूमर को निकालना आसान हो गया।

मामले की जानकारी देते हुए, डॉ पीयूष वार्ष्णेय – डायरेक्टर, यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट, Noida Fortis Hospital ने कहा कि इस मामले की जटिलता के मद्देनज़र यह काफी चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, हमें गुर्दे को रक्तापूर्ति कर रही सभी प्रमुख धमनियों की पहचान कर उन्हें बिना क्षति पहुंचाएं काटना था, हरेक धमनी और शिरा को अलग-अलग कर बांधना था ताकि बिना खून बहाए किडनी ट्यूमर को हटाया जा सके।

रोबोट की सहायता से पार्शियल (आंशिक) नेफ्रक्टॅमी कर, हमने ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला और इस प्रक्रिया में आसपास के टिश्यू या रक्तवाहिकाओं को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा। यदि इस ट्यूमर को समय पर नहीं निकाला जाता तो यह किसी भी समय फट सकता था और उस स्थति में काफी अधिक ब्लीडिंग होती। इस तरह के ट्यूमर के साथ एक समस्या यह होती है कि ये चर्बी और रक्तवाहिकाओं से बने होते हैं और इनके ऊपर से किसी तरह का सुरक्षा कवच नहीं होता।

इस वजह से, कई बार एक मामूली चोट से ही यह फट सकते हैं और मरीज को काफी ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है, जिससे ब्लड प्रेशर काफी गिर सकता है।वही फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा के जोनल डायरेक्टर मोहित सिंह ने कहा कि यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था, और इन मामलों में किसी ऐसे मल्टी-स्पेश्यलिटी अस्पताल में परामर्श लेना चाहिए जहां श्रेष्ठ मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हों।

Noida Fortis Hospital में हमारे पास रोबोट-सहायता प्राप्त सर्जिकल प्रोग्राम के साथ-साथ डॉक्टरों की स्पेश्यलाइज़्ड टीम भी है।

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