भगवान श्रीराम की बाल लीला
Noida सेक्टर 82 स्थित ईडब्ल्यूएस पॉकेट 12 में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा व्यास अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी पंचमानंद जी महाराज ने भगवान राम की बाल लीलाओं , विश्वामित्र यज्ञ रक्षा, अहिल्या उद्धार आदि प्रसंगों का बहुत सुंदर वर्णन किया।
विश्वामित्र जी वन में यज्ञ करते हैं लेकिन राक्षस उनके यज्ञ में बाधा डालकर उसको पूर्ण नहीं होने देते हैं । विश्वामित्र जी ध्यानस्थ होकर देखते है तो उन्हें पता चलता है कि दशरथ पुत्र राम स्वयं विष्णु अवतार हैं और उनके बिना राक्षसों का संघार नहीं हो सकता है। दशरथ जी से राम ,लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगते है। भगवान राम रास्ते में तड़का जैसी भयंकर राक्षसी का वध कर देते हैं साथ ही अन्य राक्षसों का वध कर यज्ञ को पूर्ण करवाते हैं। मुनि विश्वामित्र के साथ जाते समय रास्ते में गौतम ऋषि के श्राप वश पाषाण शिला बनी अहिल्या का अपनी चरण रज से उद्धार करते हैं। इसके बाद जनकपुर में विश्वामित्र जी के साथ आगमन होता है
श्रीराम कथा आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी देव मणि शुक्ल ने बताया कि कल की कथा में धनुष यज्ञ, लक्ष्मण परशुराम संवाद, राम जानकी विवाह आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन कथा व्यास द्वारा किया जाएगा।इस अवसर पर तमाम सेक्टरवासी भक्तगण मौजूद रहें।
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