Noida उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल
Noida. उत्तर प्रदेश इंडस्ट्री एक्सचेंज एसोसिएशन, नोएडा की एक महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को हरौला, एरिया 5 में कार्यकारी स्लम अवतार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें व्यापारियों के प्रमुख मुद्दों पर ऊपर से नीचे तक चर्चा की गई।
प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने बैठक को सम्बोधित करते हुए सरकार से उम्मीद जताई है कि जीएसटी के तहत रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाना चाहिए,, ताकि एक साधारण व्यापारी भी इसका पालन कर सके। वहीं, जीएसटी में मासिक रिटर्न के बजाय त्रैमासिक रिटर्न होना चाहिए। साथ ही जीएसटी के तहत अलग-अलग टैक्स स्लैब की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि कई आइटम एक-दूसरे को ओवरलैप कर रहे हैं। कच्चे माल पर कर की दर उसके तैयार उत्पादों की कर दर से अधिक नहीं होनी चाहिए और किफायती आवास को बढ़ावा देने के हर तरह के कंस्ट्रक्शन के सामान को कम कर स्लैब में रखा जाना चाहिए तथा जीएसटी समितियों का गठन जिला स्तर पर किया जाना चाहिए तथा व्यापारियों को जीएसटी परिषद में प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि व्यापारियों और उपभोक्ताओं द्वारा डिजिटल भुगतान को अपनाने और स्वीकार करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए कार्ड भुगतान लेनदेन पर लगाए गए बैंक शुल्क को सरकार द्वारा सीधे बैंकों को सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि व्यापारियों या उपभोक्ताओं पर कोई वित्तीय भार न हो। डिजिटल भुगतान के तहत बोझिल प्रक्रिया के कारण व्यापारियों को बैंकों से आसान वित्त नहीं मिल रहा हैउन्होंने सरकार से मांग की है
कि मुद्रा योजना को अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए और मूल योजना के अनुसार और प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार, व्यापारियों को ऋण देने के लिए एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीटूशन को व्यापारियों को लोन देने के लिए अधिकृत किया जाय। मुद्रा योजना के लिए सेबी जैसा एक अलग नियामक होना चाहिए। लगभग 4% छोटे व्यवसाय बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने में सक्षम हैं और बाकी व्यापारी निजी धन उधारदाताओं या अन्य अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
चेयरमैन राम अवतार सिंह ने कहा, जब देश में जीएसटी लागू किया गया था तब व्यापारियों ने इसका समर्थन किया था, लेकिन बाद में जीएसटी के सरलीकरण ना होने की वजह से आज व्यापारी बहुत आहत और असमंजस में है। हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जीएसटी को लेकर इसका और सरलीकरण किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जिस तरह दूध, दही, आटा, छाछ और यहां तक की बच्चों के पेंसिल और रबड़ पर भी जीएसटी लगाए जाने और बढ़ाए जाने का हम विरोध करते आ रहे हैं।हम सरकार से मांग करते हैं कि जो उपभोक्ता वस्तुएं हैं, उन पर जीएसटी ना लगाई जाए।
उन्होंने कहा, आज व्यापारी जीएसटी के मकड़जाल में फंसा हुआ है। इसकी वजह से व्यापारी काम नहीं कर पा रहे हैं और जीएसटी लगने की वजह से उपभोक्ता वस्तुओं में महंगाई बढ़ती जा रही है।
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