Noida प्राधिकरण
Noida सेक्टर-34 स्थित सुरभि अस्पताल के पास बना बड़ा नाला आज गंदगी, प्रदूषण और अतिक्रमण का केंद्र बन चुका है। कई बार अधिकारियों के स्थल निरीक्षण के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ।
नाले में खुलेआम कचरा डाला जा रहा है और सिस्टम की लापरवाही इस स्तर तक पहुँच गई है कि पूरा क्षेत्र दुर्गंध, बीमारी और प्रदूषण से घिर गया है।मौजूदा स्थिति यह स्पष्ट दिखाती है कि नोएडा का प्रशासनिक ढांचा अतिक्रमण, अनदेखी और काम-चोरी तक सीमित होकर रह गया है।स्थानीय निवासियों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है कि इस गंदगी का सीधा असर अब लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दूषित हवा, मच्छरों और गंदे पानी के कारण सांस की तकलीफ, त्वचा रोग, डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। लंबे समय तक ऐसे अस्वच्छ वातावरण में रहने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ने लगा है। निरंतर नमी और प्रदूषण के कारण घरों में रखे एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तेज़ी से खराब हो रहे हैं, जिससे नागरिकों पर आर्थिक बोझ और बढ़ रहा है।
सबसे चिंता की बात यह है कि न सांसद, न विधायक और न ही संबंधित सरकारी विभाग इस समस्या पर कोई ठोस कदम उठा रहे हैं। क्षेत्र में न कोई सरकारी डिस्पेंसरी है और न ही कोई प्रभावी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है। जनता बीमार हो रही है, लेकिन तंत्र पूरी तरह खामोश है।स्थानीय लोग इस भयावह स्थिति को व्यंग्य में “नाला-संगम” कहने लगे हैं, क्योंकि सुरभि अस्पताल के पास दो नालों का मिलन अब बीमारी, गंदगी और दुर्गंध का स्थायी केंद्र बन चुका है।इसी स्थिति को देखते हुए समाजसेवी नरेश नौटियाल, ट्रस्टी — सनातन न्यास, ने सरकार और नोएडा अथॉरिटी से सीधा और गंभीर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है:

“जनता की सेहत, सफाई और सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता कब बनेगी?क्या नागरिकों को बीमारी, प्रदूषण और प्रशासनिक लापरवाही के भरोसे छोड़ देना ही हमारी व्यवस्था का नया मानक है?नरेश नौटियाल ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि नोएडा अथॉरिटी और सरकार इस समस्या पर तत्काल कार्रवाई करें, अन्यथा जनता को मजबूर होकर अपनी आवाज और भी बुलंद करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जनता के अधिकारों की रक्षा करना राज्य और प्राधिकरण दोनों का दायित्व है, और इस दायित्व से बचना किसी भी जिम्मेदार शासन व्यवस्था का परिचायक नहीं हो सकता।
जनता की सीधी मांग है कि नाले की तात्कालिक सफाई, अतिक्रमण पर रोक, कचरा फेंकने वालों पर कठोर कार्रवाई, स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंध और जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तुरंत तय की जाए।
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