kidney transplant रैकेट का भंडाफोड़
Noida. कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने kidney transplant रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए एक डॉक्टर समेत सात लोगों को पकड़ा था। जांच में पता चला है कि इस रैकेट के तार नोएडा, दिल्ली से लेकर बांग्लादेश तक फैले हुए हैं. जुड़े रहे हैं।
जिसके बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने आज गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से बुधवार को रिकार्ड तलब किये गए।सूत्रों की माने तो अब नोएडा में स्थित कुछ अस्पतालों की मुश्किल बढ़ सकती है।आपको बता दे कि मंगलवार को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने गुर्दा प्रतिरोपण (kidney transplant ) रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए एक डॉक्टर समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया था।
kidney transplant
गिरफ्तार आरोपितों में दिल्ली के नामी हॉस्पिटल की किडनी सर्जन डॉक्टर विजया कुमारी भी शामिल हैं।जो नोएडा स्थित एक अस्पताल में भी आती थी।जिसके बाद नोएडा में स्थित अस्पतालों की भी मुश्किल बढ़ गयी है।बता दे कि आरोपी डोनर से एक किडनी 4-5 लाख रुपए में लेते थे और रिसीवर को 20 से 25 लाख में बेचते थे।गिरफ्तार महिला डॉक्टर हर सर्जरी का दो लाख रुपये लेती थीं। डॉक्टर ने अधिकतर सर्जरी Noida के एक नामी अस्पताल में की थी। वहीं, डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था।
वही जांच में पता चला कि ये लोग 2019 से ऑर्गन रैकेट चला रहे थे।आरोपितों के पास से बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। बताते चले कि मेडिकल टूरिज्म की आड़ में एनसीआर में स्थित कई बड़े अस्पताल भारत के आसपास के गरीब देशों से आकर शारीरिक अंग बेचने वाले लोगों से संपर्क करके लाखों रुपए के वारे- न्यारे कर रहे हैं।
वर्ष 2021 में भी नोएडा के सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में kidney transplant कराने आए बांग्लादेशी लोगों के बीच में विवाद हो गया था। उसके बाद इस मामले में थाना फेस-तीन में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में कुछ लोग की गिरफ्तारी हुई थी लेकिन सरगना अभी भी फरार है।
बताया जाता है कि यह कारोबार काफी बृहद रूप से चल रहा है।गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की टीम ने अंग प्रतिरोपण की अनुमति से जुड़े दस्तावेज तलब किये थे जो उन्हें उपलब्ध करवा दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि अंग प्रतिरोपण की अनुमति जिला स्तरीय अंग प्रतिरोपण समिति देती है।
यह अनुमति रिकॉर्ड की जांच के बाद कानूनी तरीके से दी जाती है।
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