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बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम कर रहा है आंखों को कमजोर

नोएडा।साल 2020 से जब से कोविड महामारी शुरू हुई है, तब से लेकर आज 2023 में भी ज्यादातर लोग घरों से काम कर रहे हैं। कोविड के कारण अधिकांश कंपनियों ने वर्क-फ्रॉम-होम मॉड्यूल को अपना लिया है। फ़ेलिक्स अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद उज्जैर ने वर्ल्ड साईट डे के अवसर पर बताया कि लोग अपने लैपटॉप पर पहले की तुलना में रोज़ाना ज्यादा समय बिता रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, महामारी के कारण लोग और बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय घरों में बिताने पर मजबूर हुए हैं, जिसकी वजह से टीवी, टैब और मोबाइल का उपयोग भी बढ़ा है।

यानी ऑफिस और स्कूल, कॉलेज के काम के बाद भी हम दूसरे गैजेट्स पर समय बिता रहे हैं, जिसका सीधा असर हमारी आंखों पर ही पड़ता है। जैसे ही हम स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताते हैं, वैसे ही हमारी आंखें और नज़र प्रभावित होने लगती है। साथ ही उन्होंने बताया की दुनिया में बढ़ रही दृष्टि हानि की समस्या की रोकथाम, दृष्टि देखभाल और आंखों से संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष अक्टूबर माह के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है। आंखों की रोशनी के कमजोर होने के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे दूर की चीजें धुंधला दिखना, आई स्ट्रेन की शिकायत होना, जैसे आंखों में दर्द, खुजली आदि होने लगती है।

आंखों की रोशनी जाने या नजर कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं। उम्र का प्रभाव, ग्लूकोमा, आंखों की सूजन, डायबिटीज, नेत्र इंफेक्शन, विटामिन की कमी समेत लाइफस्टाइल की कुछ गलतियों के कारण भी आंखों की रोशनी कमजोर हो सकती है, या अंधेपन की शिकायत हो सकती है। बच्चों से लेकर बड़े तक सभी लोग स्मार्टफोन पर निर्भर हो गए हैं। लगभग पूरा दिन वह स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। स्मार्टफोन का बहुत अधिक इस्तेमाल आंखों पर दबाव डालता है और नजर संबंधित समस्याएं बढ़ने लगती हैं। फोन में अधिक नजरे लगाए रखने से ड्राई आई, चक्कर आना, धुंधला दिखने जैसी समस्या हो सकती हैं।

जंक फूड या पोषण हीन खाना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होने के साथ ही आंखों की रोशनी को कमजोर बनाने का कारण बन सकता है। कुछ चीजें दृष्टि के लिए बहुत पौष्टिक होती हैं, जिन्हें डाइट में शामिल कर सकते हैं।

जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन की कमी से आंखों की रोशनी जा सकती है। इससे बचने के लिए पीले और नारंगी फल व सब्जियां, पत्तेदार साग, अंडे, नट्स, आंवला, सी फूड आदि का सेवन करना चाहिए। धूम्रपान से फेफड़ों और गले के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इससे आंखो पर भी असर पड़ता है। सिगरेट या तंबाकू के सेवन से मोतियाबिंद, डायबिटीज संबंधी रेटिनोपैथी और कई अन्य गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है।

सामान्य लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वालों के अंधे होने की संभावना चार गुना अधिक होती है। अक्सर लोगों की आदत होती है कि वह कभी भी हाथों से आंखों को मसलने लगते हैं। आंखों में कुछ चले जाने, पानी आने या अन्य किसी कारण से बार बार आंखें मसलने से भी अंधेपन और कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू) का खतरा बढ़ सकता है। आंखें रगड़ने से पलकों के नीचे रक्त वाहिकाओं को लोग खुद को नुकसान पहुंचाते हैं, जो नजर कमजोर कर सकता है।

अगर आपको पावर का चश्मा लगा है लेकिन नियमित रूप से आप इसका उपयोग नहीं करते तो भी आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है। इसके अलावा अगर आप दूसरे का पावर वाला चश्मा या सनग्लास लगाते हैं तो भी आंखों में इन्फेक्शन हो सकता है। कॉन्टेक्ट लेंस का उपयोग करते हैं और इसे लगाकर ही सो जाते हैं तो आंखों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और आंखों में धुंधलापन आने लगता है।

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