- ऑपरेशन में लापरवाही बरती
एक व्यक्ति के पेट दर्द होने पर पित्त की थैली निकलने के लिए ऑपरेशन किया गया जिसमें लापरवाही बरती गई। मरीज की हालत इतनी खरीब हो गई कि उसे फौरन दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। फिर उस अस्पताल में उस मरीज का ऑपरेशन कराना पड़ा। इस घटना के बाद प्रशासन ने कड़े कदम उठाए और साथ में हर्जाना भी लगाया।
डॉक्टर की लापरवाही की वजह से मरीज की हालत खराब
आम जनता जब बीमार पड़ती है तो पूरी उम्मीद के साथ अपना जीवन बचाने के लिए अस्पताल जाती है। इलाज करवाने के लिए लोग एक बार भी पैसे खर्च करने से नहीं घबराते हैं, ऐसे में अगर इलाज के दौरान डॉक्टर से कोई गलती हो जाए तो लोग कहां जाएंगे। कई ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिसमें साफ तौर पर ये देखने को मिलता है कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से मरीज की हालत और खराब हो गई है या कई बार तो मरीज की मौत भी हो जाती है।
लापरवाही की कीमत उठाएगा अस्पताल
अब इससे जुड़ी एक अपडेट सामने आई है जिसे सुनकर सभी खुशी से झूम उठेंगे। जी हां, अब अगर अस्पताल के किसी भी तरह की लापरवाही की वजह से किसी भी मरीज की जान जाती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ अस्पताल उठाएगा।
खर्चे के साथ 10 हजार रुपये का जुर्माना
व्यक्ति के परिवार वालो ने जब इस पर आपत्ति जताई तो प्रशासन की चेतना जाग गई। जैसे ही यह घटना चर्चा में आई उसी वक्त जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने अस्पताल को इलाज में खर्च हुए 2.25 लाख रुपये का 30 दिन में भुगतान का आदेश दे दिए। इतना ही आदेश के बाद तुरंत अस्पताल पर 10 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया गया है।
जानिए पूरा मामला
बता दें कि दादरी के फूलपुर गांव निवासी मुनेश के पेट में दर्द होने पर उनको 3 जून 2021 को अस्पताल में दिखाया गया। अल्ट्रासाउंड कराने पर डाॅक्टर ने बताया कि उनकी पित्त की थैली में पथरी है। दस दिन के बाद ऑपरेशन की सलाह दी। ऑपरेशन के लिए कुमार अस्पताल में दिखाया था। 6 जून 2021 को ऑपरेशन किया।
ऑपरेशन के बाद 9 जून 2021 को अस्पताल से छुट्टी कर दी। लेकिन उसके बाद भी दर्द ठीक नहीं हुआ। दूसरी जगह अल्ट्रासाउंड कराया गया तो पित्त की थैली में पथरी होना बताया गया। इसके बाद कैलाश अस्पताल में ऑपरेशन किया गया। ऐसे में पहले ऑपरेशन में लापरवाहीबरतने पर कुमार अस्पताल के खिलाफ पीड़ित ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया।
सुनवाई के दौरान आयोग ने इलाज में खर्च 2.25 लाख रुपये 6 फीसदी ब्याज समेत 30 दिन में भुगतान करने का आदेश दिया है।