Greno
चार साल के लंबे इंतजार के बाद Greno के लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान वापस लौट आई है .. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुक्रवार को डूब क्षेत्र की कृषि भूमि की रजिस्ट्री प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया गया.. चार साल से रुकी हुई इस प्रक्रिया में सदर तहसील में पहले दिन कुल 5 रजिस्ट्री की गईं.. डूब क्षेत्र के कृषि भूमि पर अवैध निर्माण को रोकने के लिए इसकी रजिस्ट्री सशर्त की जा रही है..
आपको बता दें किजिला प्रशासन ने चार साल पहले साल 2020 में डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण को रोकने के लिए आपदा प्रबंधन कमेटी की बैठक में निर्णय लिया था कि डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा…. क्योंकि बिल्डरों ने डूब क्षेत्र के किसानों से जमीन खरीदकर उस पर अवैध निर्माण कर वहां कॉलोनियां बसानी शुरू कर दी थी.. लेकिन प्रशासन के निर्णय के बाद किसी भी भूमि की रजिस्ट्री से पहले संबंधित प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना आवश्यक कर दिया गया था…. इसके बाद जुलाई 2024 में एक नई व्यवस्था लागू की गई….
नई व्यवस्था के तहत रजिस्ट्री के लिए एडीएम के पास आवेदन करना होता था…. एडीएम स्तर पर प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी जाती थी और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट न आने पर आवेदन को निरस्त मान लिया जाता था…. अगर स्वीकृति मिलती तो तहसील और सिंचाई विभाग द्वारा उसका सत्यापन किया जाता था….
हांलाकि ये फैसला किसानों के हित में था, लेकिन फैसले के खिलाफ कई किसान इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गये.. उच्च न्यायालय ने प्रशासन के इस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके बाद शुक्रवार से जिले में डूब क्षेत्र की कृषि भूमि की रजिस्ट्री फिर से शुरू कर दी गई…. हालांकि, दादरी और जेवर तहसील क्षेत्रों में पहले दिन कोई रजिस्ट्री नहीं हो सकी…. जबकि यहां काफी आवेदन पहले से ही लंबित हैं….
तो अब सवाल ये है कि क्या पहले की तरह डूब क्षेत्र में बिल्डर फिर से अवैध निर्माण करके कॉलोनियां बसानी शुरू कर देंगे ? जवाब है कि नहीं, क्योंकि डूब क्षेत्र में कृषि भूमि की रजिस्ट्री इस शर्त पर की जा रही है कि जिस भूमि की खरीद-बिक्री होनी है, उस पर कोई पक्का निर्माण नहीं होना चाहिए और भविष्य में भी कोई स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकेगा….. इसके अलावा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों और नियमों का पूरी तरह से पालन करना आवश्यक होगा…. रजिस्ट्री के लिए गाटा की खतौनी और खसरे की मूल प्रति के साथ-साथ जीपीएस के माध्यम से जमीन की फोटो भी संलग्न करनी होगी, जो मौके पर ली गई हो….
हालांकि, पहले दिन दादरी और जेवर तहसील क्षेत्रों में कोई रजिस्ट्री नहीं हो सकी, जबकि यहां रजिस्ट्री के लिए कई आवेदन पहले से आ चुके हैं…. अधिकारियों के अनुसार इन क्षेत्रों में रजिस्ट्री प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी, लेकिन सशर्त नियमों का पालन यहां भी कड़ाई से किया जाएगा…. प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया सख्त नियमों और एनजीटी के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत होगी, जिससे डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण करा कर कॉलोनियां ना बसाई जा सके… आपको बता दे कि डूब क्षेत्र नदी के किनारे के उन इलाकों को कहते हैं जहां बरसात के समय बाढ़ आने का खतरा बना रहता है …
बिल्डरों ने ऐसे ही इलाकों के किसानों से सस्ती जमीनें खरीदकर, उन पर कॉलोनी बसाकर उन्हे महंगे दामों में बेचना शुरू कर दिया था… लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब रजिस्ट्री हो जाने के बाद भी कोई बिल्डर या खुद किसान भी इन जमीनों पर कोई पक्का निर्माण नहीं करा पाएंगे…
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