Homeकमिश्नरेट समाचारग्रेटर नोएडा ज़ोनGreater noida :इंतजार का एक दशक: अर्थ टाइटेनियम को नई उम्मीद की...

Greater noida :इंतजार का एक दशक: अर्थ टाइटेनियम को नई उम्मीद की रौशनी मिली

अर्थ टाइटेनियम

Greater noida पिछले 10 सालों का लंबा इंतजार,  जिनमें अर्थ टाइटेनियम प्रोजेक्ट सिर्फ एक अटका हुआ निर्माण स्थल नहीं, बल्कि हज़ारो परिवारों की ज़िंदगी का दर्द बन गया जिन्हें भरना शायद कल्पना के भी परे है, आप सोच कर देखिए वृद्ध जोड़े अपनी पेंशन की बचत लगाते हुए, माता-पिता अपनी संतानों के भविष्य के लिए जितना बन सके उतना जोड़ते हुए, सबकी कोशिश एक बेहतर कल का सपना पूरा करने की।

लेकिन इसके बजाय महीना दर महीना, वे खाली ज़मीन, टूटे वादों को देखते रहे, उम्मीद फिसलती गई और नतीजा  बिल्डर ग़ायब। पैसे चले गए। कानूनी पेच लंबे चले, और धीरे-धीरे सबके ने मान लिया की अब हमारे सपने अधूरे ही रहेंगे अब इनके लिए सोचना भी बंद कर देना चाहिए।लेकिन इन्होंने एक चीज़ कभी नहीं छोड़ी—हौंसला और उम्मीद। कभी-कभी जब सारे रास्ते बंद दिखें, एक रास्ता होता है जो खोज लिया जाता है और यही इन खरीदारों ने किया। साधारण नागरिक, जिनके दिल टूटे हुए लेकिन उम्मीद में डटे रहे। उन्होंने साथ आकर कहा, “अभी नहीं।” अभी हम हारे नहीं, अनगिनत मीटिंग्स, अदालतों के चक्कर, भागदौड़ और हाथ लगे निराशाजनक पल जिनसे वो सालों से जूझते रहे। और अब, आखिरकार, अंधेरा हटा और नज़र आया उम्मीद के सूरज का नया उजाला।

अर्थ टाइटेनियम प्रोजेक्ट, अपने पूरे ३७.५ एकड़ में, फिरसे वापसी के लिए तैयार है। इस कोशिश की अगुआई खरीदार एसोसिएशन (यूटीसीए) ने तो की, रियल एस्टेट में 40 सालों के अनुभव वाले स्प्लेंडर ग्रुप, जीएनआईडीए के सम्पूर्ण समर्थन, और यासा द्वारा बनाए गए बदलाव के रोड मैप से संभव होने जा रही है। यह साझेदारी चकाचौंध वाले वादों की नहीं, बल्कि अटूट जज़्बे पर आधारित है।

घर खरीदार—असल हीरो

यहां ये निर्माण रुकना नहीं चाहिए, अगर इस बदलाव में कोई असली खबर है, तो वह खुद खरीदार हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में एक लाख से ज़्यादा के घर अभी भी अधर में हैं। फिर भी, अर्थ टाइटेनियम के खरीदारों ने अपनी जमा-पूंजी को सिर्फ एक आंकड़ा नहीं बनने दिया, वे एकजुट हुए, मदद से इनकार किया, और न्याय की मांग की। उनका संघर्ष दिखाता है कि मुट्ठी भर संकल्पित नागरिक क्या हासिल कर सकते हैं जब वे हो जाएं एकजुट।

जीएनआईडीए ने निभाई भूमिका

ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने सिर्फ दूर खड़े रहकर तमाशा नहीं देखा। जीएनआईडीए ने ठोस समर्थन दिया है, योजनाएं बन रही हैं, और घोषित लक्ष्य है कि जिनको उनका घर उनकी प्रॉपर्टी देने का वादा किया गया, वो उन्हें वास्तव में मिलें ना कि सिर्फ कागजों पर। यहाँ ध्यान देने वाली सबसे  महत्वपूर्ण बात ये है कि जीएनआईडीए की सक्रियता से सरकार की बकाया राशि  भी मिलने की उम्मीद है, जिससे ऐसे ही फंसे और दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए मिसाल बनेगी।

 स्प्लेंडर का भरोसा

स्प्लेंडर ग्रुप, जिसने क्षेत्र में कई बड़ी आवासीय और व्यावसायिक इमारतें बनाईं हैं, अपनी शानदार विश्वसनीयता लेकर आये हैं। उनका 40 बरसों का अनुभव  दिखावे के लिए नहीं है, वे एनसीएलटी की अनुमति मिलते ही अथॉरिटी का सभी बकाया चुकाने का वादा कर चुके हैं, और खासतौर पर बार-बार, पारदर्शी और तेज़ निर्माण प्रक्रिया का भरोसा भी दिया है। जिन परिवारों ने अब तक लगभग उम्मीद छोड़ दी थी, उनके लिए कई सालों में पहली बार, असल डिलीवरी की उम्मीद दिखी है, जहाँ सिर्फ वादा नहीं , साइट पर मजबूत निर्माण से नजर आ जायेगा।

यासा ग्रुप : ‘टर्नअराउंड’ विशेषज्ञ

आइये जानें इस एक दशक पुराने गतिरोध को मौके में कैसे बदला गया? इसमें यासा ग्रुप की भूमिका प्रमुख रही है, जो रुके प्रोजेक्ट्स के लिए स्टार्टअप है, ज़मीन पर खुद उतरकर समस्याओं को सुलझाता है। उन्होंने क़दम-क़दम पर पेटीशनिंग, खरीदार, अथॉरिटी, और डेवलपर सभी को को साथ बिठाया, और एनसीएलटी प्रक्रिया के लिए वही स्ट्रैटेजिक योजना तैयार की।

क्या कहते हैं ‘फ्रंटलाइन’ से?

एसीइओ (भूमि), जीएनआईडीए“हम रोज़ ऐसी एकता नहीं देखते,” ऐसा कहना था ग्रेटर नोएडा के  अधिकारी का, “जब खरीदार इतनी मज़बूती से साथ आते हैं, तो हल निकलना ज़रूरी हो जाता है। हमारा काम है, प्रक्रिया को सही दिशा देना—ईमानदार खरीददार और राज्य, दोनों के लिए।” इससे ज़रूरी कुछ नहीं होताश्रीमती  बेनू सहगल, स्प्लेंडर ग्रुप का इस विषय में क्या कहना है—आइये जानते हैं“हम सिर्फ इमारतें खड़ी करने नहीं आये हैं, ये भरोसा लौटाने की बात है। जीएनआईडीए को जो हमारा हलफनामा है, वही गारंटी है। जब एनसीएलटी से मंजूरी मिलेगी, हम सब बकाया साफ करेंगे और सारा बकाया चुकाना हमारा जिम्मा होगा—ये पूरी पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी से किया जाएगा। हर किसी को उनका हक़ मिलेगा, और ज़रूर मिलेगा।”

श्री अरविंद कुमार अवस्थी, यूटीसीए का इस बारे में क्या कहना है—आइये जानते हैंहमने एक दशक से ज़्यादा लड़ाई लड़ी। आज सबको एक साथ एक दूसरे का इस नेक काम के लिए समर्थन ये दिखाता है कि एकजुटता हमेशा कामयाब होती है।  हम जीएनआईडीए, स्प्लेंडर और यासा के आभारी हैं। उम्मीद है, ऐसी कहानियों की और ऐसी मिसालों की शुरुआत यहीं से होगी।”

पियूष पुष्पक, यासा ग्रुप:“हमारा काम है समस्या सुलझाना। हमने प्रोजेक्ट को मैप किया, सबको एक दूसरे के साथ एक कड़ी की तरह जोड़ा। उम्मीद है ये देशभर के रुके प्रोजेक्ट्स के लिए एक ब्लूप्रिंट बनेगा।”

आगे की राह

अर्थ टाइटेनियम की बहाली महज़ परियों की कहानी नहीं, बल्कि सबक है कि खरीदारों की जिद, सरकारी समर्थन और बिल्डरों की जवाबदेही जब मिलती है, तो हल निकला जा सकता है। सैकड़ों परिवारों के लिए, अब उम्मीद महज़ शब्द नहीं, बल्कि अमल में लाया जा रहा प्लान है।

नोएडा के लिए, ये शुरुआत हो सकती है  जिससे रुकी हुई परियोजनाओं को नई ज़िंदगी और उम्मीद को हकीकत के साथ सही अंजाम तक पहुंचाया जाए।

YouTube:@noidasamachar
Facebook:@noidasamachar
Twitter:@noidasamacharh

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट राष्ट्रीय अध्यक्ष जन आंदोलन एक सामाजिक संगठन on ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर Greater Noida Authority के CEO को लिखा पत्र