कोर्ट परिसर में लगे CCTV कैमरे खराब होने पर उत्तर प्रदेश को देना होगा जवाब
GautamBudha Nagar: नोएडा हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र के न्यायाधीश को नियुक्त किया रिपोर्ट पर विचार करने के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा गया जिसमें कहा गया है कि रख-रखाव के लिए संसाधन के अभाव में कोर्ट परिसर में लगे CCTV कैमरे पुराने पड़े हैं।
हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर क्षेत्र की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया से मुलाकात की। कथित लड़ाई का आकलन वॉक 21 पर लिया गया था। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस घटना के बारे में चिंतित नहीं थी और जिस तरह से भरोसेमंद लोगों को अभी तक पहचान नहीं मिल पाई है, उससे असंतोष है।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा संचालित एक पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को अगले सोमवार को सुनेंगे’। इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने (पड़ोस बार के अग्रदूतों ने) माफ़ी मांगी है, हम इसकी निंदा करेंगे… कोई भी इस तरह कानूनी सलाहकार, किसी भी अदालत (न्यायाधीश) और वकील को अदालत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे। इस पीठ में न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं |
पीठ ने स्थानीय न्यायाधीश अमित सक्सेना द्वारा प्रलेखित रिपोर्ट का अवलोकन किया कि क्षेत्रीय अदालत आसपास लगे CCTV कैमरे खराब हो गए और घटना की वीडियो नहीं मिल सकी।
पीठ ने उन्हें राज्य सरकार के मार्गदर्शन और वरिष्ठ प्रवर्तक गरिमा प्रसाद के माध्यम से नोटिस दिया। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने प्रकरण की जानकारी लेते हुए क्षेत्रीय न्यायाधीश से घटना की CCTV फिल्म लेने को कहा था,इसकी सुरक्षा करने को कहा |
कानूनी सलाहकारों द्वारा सहकर्मियों को अदालतों में प्रवेश करने से रोकने के मुद्दे पर सोमवार को प्रधान न्यायाधीश ने
कहा, ‘असहमति का मतलब हड़ताल नहीं है | आप अदालत में प्रवेश नहीं कर सकते और कानूनी सलाहकारों से ऐसा करने के लिए नहीं कह सकते की “चले जाये यहाँ से’ हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे |
परामर्श की शुरुआत में, हाई कोर्ट बार एफिलिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल और सचिव रोहित पांडे ने कहा कि स्थानीय बार के नेताओं ने दुख व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है।
वरिष्ठ कानूनी सलाहकार और पूर्व एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह, वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया के पक्ष में उपस्थित हुए।अग्रवाल के विवाद पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि आसपास के बार अग्रदूतों द्वारा कोई ‘शोक या विलाप’ नहीं किया गया। सूचित नहीं किया गया और उन्होंने अपराधी को पहचानने में भी लापरवाही की।
इससे पहले विकास सिंह ने इस मामले का जिक्र पहले पीठ और बाद में प्रधान के समक्ष किया था निर्णायक ने घटना पर स्वत: संज्ञान अनुरोध दर्ज करने के लिए समन्वय किया था। यह प्रकरण बुधवार को हुआ यह स्थानीय अदालत में हुआ जहां कानूनी सलाहकार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे ।
सिंह ने शीर्ष अदालत को बताया था कि कानूनी सलाहकारों ने कथित तौर पर भाटिया को परेशान किया था और ‘कॉलर बैंड’ छीन लिया। एक महिला कानूनी सलाहकार भी पीठ के सामने आईं और मामला निपटाने का आश्वासन दिया मामले की पैरवी करते समय एक अन्य अदालत में भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
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