नोएडा शहर में लगभग 150 से अधिक सैक्टर हैं। जिसमें लगभग 100
सैक्टर आवासीय हैं। जिनकी आपस में दूरी लगभग 30 किमी तक की है। परन्तु, शहर का अपना कोई
भी ऐसा पब्लिक ट्रान्सपोर्ट सेवा नहीं है, जिससे एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में सुविधापूर्वक आवागमन हो
सके। नोएडा में मेट्रो के अन्दर का सफर असान होता है। परन्तु असली जद्दोजहद घर से मेट्रो स्टेशन
आने-जाने में करना पड़ता है।
ऑटो और ई-रिक्शा बेहद महंगा
शहर के लोगों को अपने गंतव्य तक जाने के लिए ऑटो या ई-रिक्शे का सहारा लेना पड़ता है। कभी-कभी
केवल 5, 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए दो बार ऑटो या रिक्शा बदलना पड़ता है। यात्री
ओला और उबर कैब के जरिये यात्रा करने को मजबूर होते हैं। यह यात्रा मेट्रो के किराये से कई गुना
अधिक हो जाता है। यही कारण है कि लोग निजी वाहन का प्रयोग करते है। यह कई बार जाम का भी
कारण बनते हैं।
सेक्टरों के बीच नहीं है पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कनेक्टिविटी
शहर के कुछ हिस्सों में डीटीसी और गाजियाबाद व हापुड़ जाने वाली निजी व रोडवेज की बसें चलती हैं।
परन्तु उनका रूट सीमित होने की वजह से उसका लाभ पूरे शहर के लोगों को नहीं मिल पाता है।
सेक्टर-18 से सेक्टर-62 जाना हो तो साधन का कोई अभाव नहीं है। लेकिन, यदि सेक्टर-18 से सेक्टर
130, 135, 142, 148 आदि जाना हो तो उसे या तो अपने वाहन से जाना होगा या फिर कैब व ऑटो
का सहारा लेना होगा।
दैनिक यात्रियों को होती हैं दिक्कतें
आम नागरिक पब्लिक ट्रान्सपोर्ट पर निर्भर होते हैं। इसलिए नोएडा जैसे शहर का अपना एक पब्लिक
ट्रान्सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता महसूस की जाती है। यह सिस्टम ऐसा हो, जिससे कोई व्यक्ति शहर
के किसी भी सेक्टर तक आसानी से पहुंच सके।