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शीत लहर/ठंड के समय “क्या करें व क्या ना करें” को लेकर जिला प्रशासन की ओर से एडवाइजरी जारी

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार व जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के निर्देशों के क्रम में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अतुल कुमार के मार्गदर्शन में जिला आपदा विशेषज्ञ ओमकार चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद वासियों को शीत लहर/ठंड के समय में क्या करें क्या-ना करें को लेकर जिला प्रशासन की ओर से एडवाइजरी जारी की जा रही है, जिसका समस्त जनपद वासी पालन करते हुए अपने आप को शीत लहर एवं ठंड के समय में सुरक्षित बनाए रखें।

शीत लहर/ठण्ड के समय क्या करें क्या न करें।👇

शीतलहर/ठण्ड से पहले

1. रेडियो सुनें यह जानने के लिए कि क्या शीतलहर आने वाली है, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए टीवी देखें, समाचार पत्र पढ़ें।

2. सर्दियों के कपड़ों का पर्याप्त स्टॉक रखें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती हैं।

3. आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें।

4. फ्लू बहती/बंद नाक या नाक से खून आने जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लबे समय तक संपर्क में रहने के कारण विकसित होती है. या बढ़ जाती है। इस तरह के लक्षणों के लिए डॉक्टर से सलाह लें।

शीतलहर ठण्ड के दौरान

1. मौसम की जानकारी और आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें, और सलाह के अनुसार कार्य करें।

2. जितना संभव हो घर के अंदर रहे और ठंडी हवा के संपर्क से बचने के लिए यात्रा कम से कम करें।

3. भारी कपड़ों की एक परत के बजाय ढीले-ढाले, हल्के, हवारोधी गर्म ऊनी की कई परतें पहनें। टाइट कपड़े रक्त सचार कम करते हैं।

4. अपने आप सूखा रखें, यदि गीला है, तो अपने सिर, हाथ, और पैर, की उगलीयों को पर्याप्त रूप से ढकलें क्योंकि गर्मी को अधिकांश नुकसान शरीर के इन्हीं हिस्सों से होता हैं।

5. दस्तानें को प्राथमिकता दें। दस्तानें ठण्ड से अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, क्योंकि उंगलियां अपनी गर्मी साझां करती हैं, और कम सतह क्षेत्र को ठण्ड के संपर्क में लाती है।

6. गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए टोपी और मफलर का उपयोग करें, इंसुलेटेड/वॉटरप्रूफ0जुते पहनें।

7. शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखनें के लिए स्वस्थ भोजन खाए।

8. पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाएं रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाए ।

9. नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पियें, इससे ठण्ड से लड़ने के लिए शरीर में गर्मी बनी रहेगीं।

10. अपनी नियमित रूप से तेल, पैट्रोलियम जैली या बॉडी क्रीम से मॉइस्चराइज करें।

11. बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें और अकेले रहने वाले पड़ोसियों, खासकर बुजुर्गों से उनका हालचाल पूछें।

12. आवश्यकतानुसार आवश्यक सामग्री को भण्डारण करें। पर्याप्त पानी संग्रहित करें क्योंकि पाइप जम सकतें हैं।

13. गैर-औद्योगिक भवनों के लिए ताप इन्सुलेशन पर गाइड का पालन करें और आवश्यक तैयारी उपाय करें।

14. ठंडी लहरों के संपर्क में आने पर शीतदंश के लक्षणों जैसे सुन्नता, उंगलियों, पैर की उंगलिया कान की लोब और नाक की नोक पर सफेद या पीला दिखना।

15. लबे समय तक ठंड के संपर्क में रहनें से त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो सकती है, और शरीर के खुले हिस्सों जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, नाक औरध्या कानों पर कालें छालें पढ़ सकतें हैं। तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

16. शीतदंश से प्रभावित क्षेत्रों का गर्म (गर्म नहीं) पानी से उपचार करें। (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान छूनें के लिए आरामदायक होना चाहिए।)

17 . कंपकपी को नजरंअदांज न करें, यह महत्वपूर्ण पहला सकेंत है, की शरीर की गर्मी कम हो रही है, और यह जल्दी से घर के अन्दर लौटने का सकेंत हैं।

18. शीतदंश/हाइपोथर्मिया से पीड़ित किसी व्यक्ति के यथा शीघ्र चिकित्सा सहायता लें।

19. पालतू जानवरों को घर के अन्दर लें जाए। इसी तरह, मवेशियों या घरेलू पशुओं को भी अन्दर लें जाकर ठंड के मौसम से बचाएं।

20. शीत लहर के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हों सकता हैं, शरीर के तापमान में कमी जिससे कपकपीं, बोलने में कठिनाई, नींद आना, मांसपैशियों में अकड़न, भारी सांस लेना, कमजोरी और ध्यान चेतना की हानि हो सकती हैं, हाइपोथर्मिया एक चिकित्सीय आपात स्थिति हैं, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देनें की आवश्कता होती हैं।

सौजन्य से सूचना विभाग गौतम बुद्ध नगर।

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