सरस आजीविका मेला 2025
Noida केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के सहयोग से आयोजित सरस आजीविका मेला 2025 में चौथे दिन हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की जमकर बिक्री हुई। यह मेला 21 फरवरी से 10 मार्च 2025 तक नोएडा हाट, सेक्टर-35ए में आयोजित किया जा रहा है। इस मेले का उद्देश्य ग्रामीण भारत की समृद्ध शिल्प कला और संस्कृति को शहरी लोगों के साथ जोड़ना है।
महिलाओं को भा रहे हैं राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ के बैड शीट
मेले में महिलाओं के लिए राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ की बैड शीट खास आकर्षण का केंद्र रहीं। ये उत्पाद न केवल सुंदर हैं, बल्कि टिकाऊ और आरामदायक भी हैं। इसके अलावा, मेले में 400 से अधिक महिला शिल्पकारों ने अपने हस्तकला और पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन किया। ये महिलाएं विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं और अपने कौशल के जरिए ग्रामीण संस्कृति को जीवंत कर रही हैं।
ताइवान प्रतिनिधिमंडल ने भी लिया हिस्सा
मेले के चौथे दिन ताइवान का एक तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी पहुंचा। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की सराहना की और इन्हें वैश्विक बाजार में बढ़ावा देने की संभावनाओं पर चर्चा की।
इंडिया फूड कोर्ट: क्षेत्रीय व्यंजनों का अनोखा स्वाद
इस बार मेले का एक खास आकर्षण इंडिया फूड कोर्ट भी है। यहां देश भर के 20 राज्यों की 80 उद्यमी गृहणियों ने अपने प्रदेश के प्रसिद्ध क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टाल लगाए हैं। इन स्टालों पर हर प्रदेश के व्यंजनों का अनोखा स्वाद चखने को मिल रहा है।
हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की भरमार
मेले में हस्तशिल्प और हथकरघा के उत्पादों की भरमार है। आंध्र प्रदेश की कलमकारी, आसाम का मेखला चादर, बिहार की कॉटन और सिल्क साड़ियां, छत्तीसगढ़ की कोसा साड़ी, गुजरात का भारत गुंथन और पैचवर्क, झारखंड की तासर सिल्क और कॉटन साड़ियां, मध्यप्रदेश के चंदेरी और बाग प्रिंट, मेघालय के इरी उत्पाद, ओडिशा की तासर और बांदा साड़ियां, तमिलनाडु की कांचीपुरम साड़ी, तेलंगाना की पोचमपुरम साड़ी, उत्तराखंड की पश्मीना, और पश्चिम बंगाल की बालुचरी साड़ियों ने लोगों का ध्यान खींचा।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी जलवा
मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी भरपूर आनंद लिया जा रहा है। चौथे दिन महाराष्ट्र के पुष्पांजलि ग्रुप के कलाकारों ने सुप्रसिद्ध लावनी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। वहीं, हीटेक इंटरनेशनल स्कूल, गाजियाबाद की छात्राओं ने सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किया।
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का मंच
सरस आजीविका मेला 2025 न केवल ग्रामीण कलाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का भी एक मंच प्रदान कर रहा है। मेले में देशभर से 400 से अधिक लखपति दीदियों ने भाग लिया। ये महिलाएं अपने उत्पादों के साथ मेले में शामिल हुईं और अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
मेले को सफल बनाने में जुटे अधिकारी
मेले को सफल बनाने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और एनआईआरडीपीआर पूरी तरह से प्रयासरत हैं। इस अवसर पर एनआईआरडीपीआर के सहायक निदेशक चिरंजीलाल कटारिया के कुशल निर्देशन में सुधीर कुमार सिंह, सुरेश प्रसाद और अन्य अधिकारियों ने मेले की व्यवस्थाओं में पूर्ण सहयोग दिया।
सरस आजीविका मेला 2025 ग्रामीण भारत की समृद्ध संस्कृति और कला को शहरी लोगों के साथ जोड़ने का एक बेहतरीन मौका है। यह मेला न केवल ग्रामीण कलाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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