भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति
भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति का अनिश्चितकालीन धरना शिचरनी की अध्यक्षता में और मास्टर श्यौराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के नेतृत्व में जोर-शोर से जारी रहा। यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती और साथ ही विजयदशमी भी मनाई जा रही है। इस दोहरे पर्व के अवसर पर यूनियन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने धरने को और अधिक सामूहिक और प्रभावशाली बनाने का संकल्प लिया।
धरने पर बैठे पदाधिकारी और सदस्य दृढ़ संकल्पित हैं कि उनकी सभी मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा और शांति के मार्ग से आंदोलनों की राह दिखाई है, जिससे समाज और राष्ट्र की बेहतरी के लिए संघर्ष किया जा सके। वहीं, भगवान श्रीराम ने अधर्म पर धर्म की विजय के अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किए। उनका संदेश यह है कि चाहे विरोधी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अगर आपकी यूनियन में एकता और शक्ति है, तो कोई भी आपको हरा नहीं सकता।
आज के इस महत्वपूर्ण मौके पर सभी पदाधिकारी और सदस्य एकजुट होकर कहते हैं कि दशहरा और गांधी जयंती के पावन दिन हम अपने संघर्ष को और भी मजबूत बनाएंगे। उन्होंने संकल्प लिया कि हमारी यूनियन की शक्ति और एकता को दिखाकर हम अपने अधिकारों और न्याय की मांग को पूरा करेंगे। इस धरने में उपस्थित सभी सदस्यों ने यह प्रतिज्ञा की कि संघर्ष की यह मशाल तब तक जलती रहेगी जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती।
आज के धरने में प्रमुख रूप से रौदास सिंह, शीले सिंह, लखपत सिंह, ओमपाल सिंह, हरी ओम सिंह, हरवीर सिंह, रूपन, धर्मवीर, जयप्रकाश सिंह, शिवचरण, कुमारपाल, रंन्नू, जयचंद, अनील भाटी, सुनील भाटी, रोविन, विपिन, टिंकू आदि उपस्थित रहे। उन्होंने अपनी उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी से धरने की गरिमा और प्रभाव को और बढ़ाया।धरने का वातावरण आज खासतौर पर उत्साहपूर्ण और प्रेरणादायक रहा। सभी सदस्य एकजुट होकर अपने अधिकारों की लड़ाई में दृढ़ता से खड़े रहे और समाज में न्याय एवं समानता के लिए अपने संघर्ष को और मजबूत बनाने का संदेश दिया।
भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके संघर्ष का मार्ग शांति, संयम और एकता पर आधारित है। उनका मानना है कि यही मूलमंत्र है, जिससे समाज और राष्ट्र में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है। इस धरने के माध्यम से यूनियन ने यह संदेश दिया कि एकजुट होकर आवाज उठाने से कोई भी शक्ति किसी सच्चे संघर्षशील को दबा नहीं सकती।
आज के धरने ने यह साबित कर दिया कि किसान और उनकी यूनियन का संकल्प अडिग है, उनकी एकता अटूट है और उनका संघर्ष अविरत है। दशहरा और गांधी जयंती के इस पावन अवसर पर यह धरना केवल आंदोलन नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए एक प्रेरक संदेश भी बन गया।
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