जनता के पैसों का दुरुपयोग
Noida आवासीय सोसाइटीयों के बाहर लगाए जा रहे बड़े-बड़े बोर्डों को लेकर निवासियों ने गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है। नागरिकों का कहना है कि जनता के पैसों से लगाए जा रहे ये बोर्ड न तो किसी प्रकार का लाभ दे रहे हैं
और न ही वास्तविक दोषियों पर कोई दबाव बना रहे हैं।यदि किसी बिल्डर का भारी बकाया लंबित है, तो ऐसे बोर्ड बिल्डर के घर,ऑफिस, या शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाए जाने चाहिए—ताकि जनता को स्पष्ट रूप से पता चले कि “इस बिल्डर के इतने करोड़ रुपये बकाया हैं।ये कहना है ग्रैंड अजनारा हेरिटेज के पूर्व एओए अध्यक्ष धनंजय सिंह का।उनका कहना है कि इन सब के बाद भी मौजूदा स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है।
विडंबना यह है कि बोर्ड उन सोसाइटीयों के बाहर लगाए जा रहे हैं जिन्हें बिल्डर अधूरा छोड़कर भाग गया।
मूल प्रश्न उठता है
(1)सोसाइटी के बाहर बोर्ड लगाने से जनता को क्या लाभ होगा?
(2)क्या Noida प्राधिकरण इस तरह बोर्ड लगाकर बिल्डर से पैसा वसूल लेगी?
(3)इससे न तो कोई वसूली होगी और न ही वास्तविक दोषियों पर कोई दबाव बनेगा।
यदि बोर्ड लगाने का उद्देश्य बिल्डर पर दबाव बनाना है, तो ये बोर्डजिम्मेदार बिल्डर के दरवाज़े पर और उसकेव्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बाहर लगाए जाने चाहिए—ना कि उन निर्दोष निवासियों की सोसाइटीयों के बाहर, जो पहले ही आर्थिक और मानसिक नुकसान झेल रहे हैं।निवासी नोएडा प्राधिकरण से आग्रह करते हैं
कि इस अप्रभावी और अनुचित व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए और ऐसे ठोस कदम उठाए जाएँ जिनसे डिफॉल्टर बिल्डरों पर वास्तविक दबाव बने तथा पीड़ित गृहस्वामियों को राहत मिल सके।
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