आठ साल बाद मिला Authority से मुआवजा
Greno Authority के अधिकारियों की उदासीनता और सरकारी फाइलों के मकड़जाल में फंसकर दो भाइयों की जान चली गई. दो लोगों की मौत के बाद Authority को अपनी गलती समझ आई और सरकारी बाबुओं की वजह से आठ साल से पेंडिंग पड़े फाइल को मंगाकर गलती सुधारी गई.आठ साल तक अपने मुआवजे की मांग करते जब दो भाइयों की मौत हो गई, जब Authority हरकत में आया, और आनन फानन में फाइल मंगाकर उनके मुआवजे के पैसे खाते में ट्रांसफर कर दिये गये.
आरोप है कि जमीन जाने के बाद मुआवजा नहीं मिलने की टेंशन से दोनों भाइयों की मौत हुई है, जबकि किसान परिवार के तीनों भाइयों ने आपसी सहमति से अथॉरिटी को जमीन दी, लेकिन डिफॉल्टर बैंक में Authorityअधिकारियों ने रुपये ट्रांसफर कर दिए, जबकि पीड़ित किसान ने अधिकारियों को अपना दूसरा बैंक अकाउंट नंबर दिया था. अधिकारियों ने गलती होने पर फंसने के डर से इस मामले को पेंडिंग में डाल दिया. पीड़ित परिवार Authority अधिकारियों के चक्कर काटता रहा, लेकिन ना उनकी फाइल निकाली गई. ना उन्हे कोई आश्वासन दिया गया, और नाही उन्हे उनकी जमीन का मुआवजा मिला.
Greno के पल्ला गांव निवासी बिजेंद्र, प्रताप और ज्ञानी ने खसरा संख्या 474 के रकबा 0.6430 हेक्टेयर जमीन को आपसी सहमति से Greno Authority को दी थी.तीनो भाइयों ने मुआवजे के ट्रांसफर के पहले महामेधा बैंक का खाता नंबर दिया गया था लेकिन जब उन्हें बैंक के डिफॉल्टर होने का पता चला तो अथॉरिटी पहुंचकर उन्होने दूसरे बैंक के खाते की डिटेल अधिकारियों को दी.. अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि खाता नंबर अपडेट हो गया है
आरोप है कि इसके बाद अधिकारियों ने डिफॉल्टर बैंक में ही रुपये ट्रांसफर कर दिए..
इसके बाद शुरू हुआ फाइलों के मकड़जाले का खेल. तीनों भाई 8 साल तक दफ्तर के चक्कर लगाते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हई. टेंशन में प्रताप की हार्ट अटैक से मौत हो गई.कुछ साल बाद दूसरे ज्ञानी की भी मौत हो गई. बच्चों की शादी से लेकर उनकी पढ़ाई के चक्कर में करोड़ों रुपये का कर्ज हो गया. यही नहीं 2021 में फिर गांव की जमीन का अधिग्रहण हुआ अधिकारियों ने एक बार फिर उनकी जमीन के मुआवजे को रोक दिया.कारण पूछा तो अधिकारी ने कहा कि पूर्व में आपका केस विवादित है.वहीं, अब Greno Authority के सीईओ ने इस केस का संज्ञान लिया. संबंधित विभाग के अधिकारियों ने गलती मानी. इसके बाद अब सीईओ ने किसान परिवार के मुआवजा को तुरंत जारी करने के निर्देश दिए हैं…
परिवार और गांव के लोगों का कहना है कि यहीं मुआवजा अगर समय से मिलजाता तो परिवार पर ना कर्ज का बोझ बढ़ता, और नाहीं दोनों भाइयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता .
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