चाइल्ड पीजीआई
Noida बाल चिकित्सा एवं स्नातकोत्तर संस्थान (चाइल्ड पीजीआई) के डॉक्टरों ने जन्मजात बीमारी से पीड़ित दो किलो से कम वजनी बच्चे की जान बचाकर मानवता और सेवा का प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया।
अस्पताल प्रशासन ने भीडॉक्टरों की पूरी टीम की सराहना की।बता दे कि नवजात पोस्टेरियर यूरेथ्रल वाल्व बीमारी से पीड़ित था।बच्चे की मूत्रनली के निचले भाग में अवरोध था, जिससे वह सह प्रकार से मूत्र नहीं कर पा रहा था।मरीज को गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। प्री मेच्योर नवजात का वजन एक किलो 900 ग्राम है। उसे अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह में गंभीर हालत में अस्पताल इलाज के लिए लाया गया था। जांच के बाद पता चला कि शिशु पोस्टेरियर यूरेथ्रल वाल्व नामक जन्मजात रोग से पीड़ित है।इस स्थिति के कारण बच्चे की दोनों किडनी ने काम करना लगभग बंद कर दिया था।
नवजात को मेटाबोलिक एसिडोसिस, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और सांस लेने में दिक्कत जैसी जटिल समस्याएं थीं।मूत्र मार्ग पूर्ण रूप से अवरुद्ध होने के कारण ऑपरेशन कर मूत्र निकाला गया, जिससे शिशु की स्थिति स्थिर हो सकी। 24 घंटे बाद शिशु का एक और ऑपरेशन किया गया।इस नवजात का इलाज काफी जटिल था, क्योंकि दोनों किडनियां शरीर के दाएं भाग में स्थित थीं।
मेरुदंड प्रभावित था, जीभ का बंधन, आंखों में दिक्कत और हृदय में भी थोड़ी परेशानी थाी।ऑपरेशन के बाद लगभग एक महीने तक नवजात को डॉक्टरों की देखरेखा में एनआईसीयू में रखा गया। अब शिशु का वजन बढ़ रहा है। बाल चिकित्सा एवं स्नातकोत्तर संस्थान के डॉक्टरों ने बताया कि यह उपलब्धि बाल शल्य चिकित्सा विभाग एवं नवजात शल्य चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई की टीम के समर्पण एवं सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
यह मामला इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि जन्मजात विकृतियों, विशेषकर मूत्र मार्ग संबंधी असामान्यताओं का इलाज तुरंत होना चाहिए।यह बेहद जरूरी है।
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